Even At the Age of 60, 40 Years Will Look Fit – 60 की उम्र मे भी ऐसे रहेंगे 40 जैसे फिट
आजकल उम्र सिर्फ एक नंबर है। इसीलिए कहा जाता है कि आप की सही उम्र वही है जितना आप महसूस करते हैं। यानि अगर आप 60 की उम्र मे भी खुद को 40 की उम्र जैसा फिट महसूस करते हैं तो आप 40 के ही हैं। अपने एफ़र्ट्स बरकरार रखिए। हम भी आपको कुछ ऐसे टिप्स दे रहे हैं, जिन्हें अपनाकर आप जीवन भर हेल्दी और खुश महसूस कर सकते हैं. आइए जानते है Even At the Age of 60, 40 Years Will Look Fit – 60 की उम्र मे भी ऐसे रहेंगे 40 जैसे फिट – Make 60 a New 40.

खाने-पीने के मामले मे बनें चूजी
जैसे-जैसे आपकी उम्र बढ़ती है, आपका मेटाबोलिज़म स्लो होने लगता है। ऐसे मे आपको पहले के मुक़ाबले कम कैलोरी की जरूरत होती है। तो अब जो भी खाएं उसकी कैलोरी पर निगाह जरूर रखें। खाने मे ऐसी चीजें शामिल करें जिनमे आपके लिए जरूरी सारे न्यूट्रीएंट्स शामिल हों।
गाढ़े हरे रंग की पत्तेदार सब्जियाँ और रंग-बिरंगे फल खाएं। हड्डियों को पूरा कैल्शियम मिले इसके लिए डेयरी प्रॉडक्ट भरपूर लें, मगर इसमे लो-फैट का ऑप्शन चुनें।
फोर्टिफाइड फूड-जैसे कि विटामिन बी12 वाले सीरियल और विटामिन डी से भरपूर दूध फायदेमंद रहेगा। शुगर वाले ड्रिंक व मीठी चीजें अवॉइड करके आप खाने मे बहुत सारा कैलोरी कम कर सकते हैं।
अच्छा फैट खाएं आप पहले से जानते होंगे कि सैचुरेटेड फैट आपकी आर्टरीज़ और हार्ट की हेल्थ के लिए अच्छा नहीं है। ये आपके कंसंट्रेशन और मेमोरी को भी नुकसान पहुँचाते हैं।
इससे बचने के लिए अपने खाने मे रेड मीट, बटर और बाकी सारी ऐसी चीजें कम कर दें जिनमे सैचुरेटेड फैट ज्यादा होता है। खाने मे फैटी फिश और फ्लैक्ससीड और नट्स जैसी चीजें बढ़ा दें। ये हेल्दी फैट आपके हार्ट और ब्रेन को काफी फायदा पहुंचाएंगे।
अपने घरौंदे को न रहने दें खाली
अगर आपके बच्चे बाहर सेटल हो गए हैं और घर खाली-खाली लगने लगा है तो पेट्स घर लाएँ। ऐसा देखा गया गया है कि कुत्ते या बिल्ली जैसे पेट्स के साथ रहने वालों का कोलेस्ट्रॉल लेवल कम होता है जिससे हार्ट की बीमारियाँ होने का खतरा कम होता है। इन पेट्स को बार-बार डॉक्टर के पास ले जाने की भी जरूरत नहीं होती है।
हालांकि इस बात की सटीक वजह का पता तो नहीं लग सका है कि पेट्स आपकी सेहत पर पॉज़िटिव असर कैसे डालते हैं, लेकिन एक फ़ैक्ट जो सामने दिखता है, वह यह कि इनके साथ आप कम से कम डेली वॉक तो करते हैं।
अपने जोड़ों का रखें ध्यान
उम्र बढ़ने का यह मतलब कतई नहीं कि आप अपना ध्यान रखना बंद कर दें। आमतौर पर लोग यह सोचते हैं कि उम्र बढ़ने पर दौड़ लगाने से उनके घुटनों पर बुरा असर पड़ेगा। लेकिन नई रिसर्च बताती हैं कि, इससे आपके घुटने और मजबूत होते हैं।
अगर आपको अर्थराइटिस है या जोड़ डैमेज हो गए हैं तो दौड़ने के बजाय एक्सरसाइज करना बेहतर होगा।इससे आपकी मसल्स मजबूत होंगी, जोड़ों को सपोर्ट मिलेगा और दर्द भी कम होगा। ऐसे मे आप कम असरदार एक्सरसाइज अपना सकते हैं, जैसे कि वॉकिंग या साइकलिंग।
सीखने की कोई उम्र नहीं
इस बात का हमेशा ध्यान रखें कि सीखने की कोई उम्र नहीं होती। तो उन्हीं चीजों के साथ बने रहने जिनसे आप परिचित हैं या जिसमे कम्फ़र्टेबल हैं, के बजाय कुछ अलग सीखकर खुद को सरप्राइज़ करें।
नए अनुभव हासिल करें। ओर्डिनरी जगहों से बाहर निकलें। नए दोस्त बनाएँ। आप कोई म्यूजिकल इन्स्ट्रुमेंट सीख सकते हैं या कोई नई भाषा भी।
नए अनुभव आपके ब्रेन को नए रास्ते दिखाएंगे और आपके दिमाग को उम्र बढ़ने के साथ भी हेल्दी रखेंगे। इससे आपके मन मे एक्साइटमेंट और खुशी बनी रहेगी।
कम करें सोडियम
क्या आपका ब्लड प्रेशर नॉर्मल से ज्यादा है? अगर हाँ, तो इसे नजरंदाज न करें। जैसे-जैसे हमारी उम्र बढ़ती है हमारा ब्लड प्रेशर आमतौर पर बढ़ने लगता है।
अगर खाने मे सोडियम की मात्रा ज्यादा है तो दिक्कत और बढ़ सकती है। इससे बचने के लिए खाने मे कम नमक का इस्तेमाल करें। सबसे पहले तो खाने की रेडीमेड चीजों का इस्तेमाल बंद कर दें। ब्रेड और रोल्स मे भी सोडियम ज्यादा हो सकता है।
अपने ब्रेकफ़ास्ट मे केला शामिल करें। इससे आपको पोटेशियम मिलेगा जो सोडियम के असर को कम करेगा और ब्लड प्रेशर का लेवल भी कम करेगा।
अल्जाइमर के खतरे को कम करें
अगर बुढ़ापे तक अपने दिमाग को शार्प रखना चाहते हैं तो रेग्युलर एक्सरसाइज करें। एक स्टडी से पता लगा है कि मिडल एज से रेग्युलर एक्सरसाइज करने वालों को बुढ़ापे मे मेमोरी संबंधी समस्या होने का खतरा 39% तक कम हो जाता है।
एसरसाइज़ से ब्रेन मे ब्लड फ़्लो बढ़ता है जिससे नए सेल्स को बढ़ने मे मदद मिलती है। सिर्फ हफ्ते मे 5 दिन 30 मिनट की वॉकिंग, साइकलिंग या गार्डेनिंग भी आपके दिमाग को दुरुस्त रखने के लिए काफी होगी।
नई शुरुआत करें
क्या हुआ अगर आपने अपनी उम्र के 30वें या 40वें पड़ाव मे हेल्दी आदतें नहीं अपनाईं। अच्छी शुरुआत कभी भी की जा सकती है। आप अपने जीवन मे अब बदलाव ले आइए।
अगर आप 60 की उम्र या इसके बाद भी एक्सरसाइज (Exercises) और अच्छे खान-पान की शुरुआत करते हैं, तब भी आपकी सेहत पर काफी अच्छा असर पड़ेगा।
इससे आपको हार्ट की समस्या होने का खतरा कम होगा, कैंसर या हड्डियों मे फ्रैक्चर का डर भी कम रहेगा। अब भी देर नहीं हुई है। अगर आप चाहें तो नई शुरुआत कर इस उम्र मे भी इतने हेल्दी हो सकते हैं जीतने कि 30 साल की उम्र मे भी नहीं थे।
लोगों के साथ घुलें-मिलें
फैमिली और फ्रेंड्स के साथ ज्यादा वक्त बिताएँ। कई स्टडीज़ से पता लगा है कि जो लोग ज्यादा सोशियल होते हैं उनका दिमाग उम्र बढ़ने पर भी ज्यादा शार्प रहता है।
आप वालांटियर भी कर सकते हैं। इससे हार्ट डीजीज का खतरा कम रहता है और उम्र लंबी होती है। इसकी शुरुआत के लिए रिटायर होने का इंतजार बिलकुल न करें।
अध्ययन बताते हैं कि आप जितनी जल्दी वलांटियर करने की शुरुआत करते हैं, बाद मे आपको हार्ट संबंधी दिक्कतें होने का खतरा उतना ही कम होता है।
झुर्रियों को कहें अलविदा
अपनी स्किन का भी ख्याल रखें। अगर आप यंग दिखेंगे तो यंग महसूस भी करेंगे। इसकी शुरुआत सनस्क्रीन के नियमित इस्तेमाल से करें। 2013 मे हुई एक स्टडी मे पाया गया कि सनस्क्रीन का डेली डोज़ आपकी स्किन को झुर्रियों से बचाता है।
अगर आपने मिडल एज से इसे लगाना शुरू नहीं भी किया है तो कोई बात नहीं। आप अब भी शुरुआत कर सकते हैं। एसपीएफ 30 या इससे अधिक एसपीएफ वाला कोई भी प्रॉडक्ट चुनें।
गहरी नींद है जरूरी
ऐसा हो सकता है कि पहले की तुलना मे अब आपको कम नींद आती हो, या जल्दी नींद पूरी हो जाती हो। लेकिन अगर आप रात मे 7 घंटे से कम सोते हैं, या दिन मे थका हुआ महसूस करते हैं, तो डॉक्टर से सलाह लें। बड़ी उम्र मे भी इनसोम्निया होना सामान्य नहीं है।
ज्यादा एक्सरसाइज करें, एल्कोहल कम लें, डॉक्टर से अपनी दवाओं के बारे मे बात करें और अगर आपको एंग्जाइटी या डिप्रेशन जैसी समस्या है तो तुरंत इलाज कराएं। इससे आपके नींद के पैटर्न मे भी सुधार आएगा।
उम्र के रिवार्ड को करें एंजॉय
यह आपके लिए सबसे बड़ी गुड न्यूज हो सकती है कि, एक स्टडी मे पाया गया है कि जैसे-जैसे उम्र बढ़ती है, लोग खुद को ज्यादा संतुष्ट महसूस करते हैं।
उदाहरण के तौर पर 80 की उम्र वाले लोग 70 साल वालों से ज्यादा खुश और संतुष्ट होते हैं। तो आप भी फ्यूचर की ओर देखें। आने वाला समय आपके लिए और खुशियाँ लेकर आएगा।
वैसे भी इंडिया मे एक कहावत मशहूर है: ‘इंसान को मूल से ज्यादा सूद प्यारा होता है’। लोग ग्रैंड पैरेंट्स बनने के बाद ज्यादा कूल हो जाते हैं। और बच्चों के साथ खुलकर लाइफ एंजॉय करते हैं।